भारत भू की विश्व-पटल पर, अटलकीर्ति के हे ध्वजदंड।
"राष्ट्रधर्म" के प्रबल प्रवर्तक,"पांचजन्य" के स्वर प्रचंड।।
राजनीति के पद्म-पुरुष , हे काव्य विटप वन के चंदन।
हे पोखरण के प्रलय-घोष,शत-कोटि नमन शत-कोटि नमन।
अंतर्व्यथा:- भावार्णव के मंथन से प्रादुर्भूत प्रथम वस्तु|