Sunday, January 25, 2009

मेरी कविता

क्या कविता क्लिष्ट दुर्बोध कोरी कल्पना है,
क्या कविता स्वयं के विज्ञापन की भावना है,
क्या कविता महत्वाकांक्षी होती है,
नहीं नहीं मेरी कविता वर्त्तमान भयावह नृशंस परिस्थितियों की तटस्थ साक्षी होती है

क्या कविता में सौंदर्य होता है,
क्या कविता में माधुर्य होता है,
क्या कविता है अनुरागी भावना,
झलकती होगी इसी की कविता में आराधना,
मेरी कविता तो दृगजल की आहुति से धधकते अंतर्मन के अनल की तीव्र वेदना है

क्या कविता शब्दों का मायाजल है,
क्या कविता विद्वता की मिसाल है,
नहीं नहीं मेरी कविता शोषितों का शोषकों के प्रति एक अंतहीन उत्तर्विहीन सवाल है

मेरी कविता के दीपक में ज्योति नहीं ज्वाला है ,
मदिरा नहीं है मेरा काव्य,पी सको तो कालकूट का प्याला है

मेरी कविता ----
निर्धनता के अपराधबोध से दबे ह्रदय पीडा है,
सतत अभावों से ग्रसित जीवन की बोझिल बीडा है,
नयननीर के निर्झर की नीरवता मेरी कविता,
विश्वव्यापी वेदना की व्यापकता मेरी कविता


मेरी कविता ----
चिर उपेक्षित कानन कुसुमों का अरण्य रोदन है
प्रासादों के कोलाहल में कुटीरों का करून क्रंदन है,
काव्य कुसुम की कलि नहीं कंटक है मेरी कविता ,
स्मित कुसुमित तरु नहीं शुष्क विटप मेरी कविता

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