Saturday, January 31, 2009

सनातन प्रश्न

वह कौन है जिसकी आभा से प्राची अनुरंजित होती है
नव उत्पल-दल खिल जाते हैं, कलरव अनुगुंजित होती है
यह सूर्य सतत जल-जलकर के, किसकी सत्ता सत्यापित करता
किस महाशक्ति के कर में जीवन-वीणा झंकृत होती है

महाप्रलय के निविड़ निशीथ में चिर दीर्घ विमुर्छित संसृति थी जब
उस मरणसेज में प्रकृति को नवजागृति किसने दी थी तब
शिवतत्त्व से किसने महाशक्ति का परिणय प्रथम कराया था
जीवन के आदि बीजतत्व को जगती पर किसने लाया तब

जलमग्न धरा को रसातल से उन्मुक्त किया,उत्थान दिया
सिन्धु और वसुधा को निज-निज मर्यादा का ज्ञान दिया
व्योमहीन धरणी को किसने नील-निलय का आश्रय दे
नक्षत्र-चंद्रमयी रजनी दी, दिवस दिया दिनमान दिया

अचल-अटल यह तुंग हिमालय,चरणों में शीश झुकाता है
घनश्याम घटा कर जलद-नाद,किसका जयघोष सुनाता है
अविरल गंगा बहती है,किसके करुणा की धार लिए
क्षिति से नभ तक कण-कण में वह कौन समाहित रहता है

किसकी सुषमा मधुबन में सहज हृदय हर लेती है
किसका सौरभ कुसुम कुञ्ज में मलय गंध भर लेती है
कलकंठी के स्वर में किसका संगीत गूंजता नैसर्गिक
किसकी सुन्दरता कण कण में आकर्षण भर देती है

किसका पुण्यप्रसून खिला चारुस्मित शिशु के अधरों पर
किसका मृदु वात्सल्य मिला माता की आँचल तारों पर
किसकी मृदुल हथेली का स्पर्श भुलाये नहीं भूलता
किसकी ममता माता बन अवतीर्ण हुई अवनी तल पर



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