कलि-अवली में अलि-अलकों के गुंजन सी तेरी यादें
कभी पतझड़ सी लगती हैं, कभी मधुबन तेरी यादें
हृदय में चल रहा मंथन तेरी यादों का है प्रियतम
कभी साँपों सी डसती हैं, कभी चन्दन तेरी यादें
मैं कोई तान वीणा की जो छेड़ूँ साज़ में तुम हो
कोई जब गीत गाउँ हो व्यथित आवाज़ में तुम हो
तुम्हारे बिन न होती कल्पना मुझसे है जीवन की
मेरा अंजाम ही तुम हो मेरी आग़ाज़ भी तुम हो
गगन में व्योम-गंगा सी हैं व्यष्टि में तेरी यादें
तेरी स्मृतियाँ मेरी सृष्टि हैं सृष्टि में तेरी यादें
श्रवण-सीमा जहाँ तक है वहां तक गूंजती है तू
जहाँ तक देखते दृग हैं, है दृष्टि में तेरी यादें
मैं लिखना चाहता हूँ गीत मन को दीप्त कर दे जो
नए जीवन-तरंगों से मुझे अभिषिक्त करदे जो
हृदय के वेदना की औषधि मैं ढूंढ़ता निशिदिन
विरहमयी याद से तेरी हृदय को रिक्त कर दे जो
कभी पतझड़ सी लगती हैं, कभी मधुबन तेरी यादें
हृदय में चल रहा मंथन तेरी यादों का है प्रियतम
कभी साँपों सी डसती हैं, कभी चन्दन तेरी यादें
मैं कोई तान वीणा की जो छेड़ूँ साज़ में तुम हो
कोई जब गीत गाउँ हो व्यथित आवाज़ में तुम हो
तुम्हारे बिन न होती कल्पना मुझसे है जीवन की
मेरा अंजाम ही तुम हो मेरी आग़ाज़ भी तुम हो
गगन में व्योम-गंगा सी हैं व्यष्टि में तेरी यादें
तेरी स्मृतियाँ मेरी सृष्टि हैं सृष्टि में तेरी यादें
श्रवण-सीमा जहाँ तक है वहां तक गूंजती है तू
जहाँ तक देखते दृग हैं, है दृष्टि में तेरी यादें
मैं लिखना चाहता हूँ गीत मन को दीप्त कर दे जो
नए जीवन-तरंगों से मुझे अभिषिक्त करदे जो
हृदय के वेदना की औषधि मैं ढूंढ़ता निशिदिन
विरहमयी याद से तेरी हृदय को रिक्त कर दे जो