मैं अवसान दिवस का प्रियतम,अन्धकार बन जाऊंगा
स्वर्णिम प्राची की रश्मि का, उपहार कहाँ दे पाउँगा
स्वर्णिम प्राची की रश्मि का, उपहार कहाँ दे पाउँगा
मानसरोवरी राजहंस तू, मैं तपते तट की सिकता
भाग्य नहीं मोती बनकर,गलहार तेरा बन पाउँगा
भाग्य नहीं मोती बनकर,गलहार तेरा बन पाउँगा
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